hanuman chalisa - An Overview

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যমরাজ কুবের আদি দিশার রক্ষক, বিদ্যমান পন্ডিত আপনার যশ এর বর্ণনা করতে পারেনা।

గోష్పదీకృత వారాశిం మశకీకృత రాక్షసమ్

బుద్ధిహీన తనుజానికై సుమిరౌ పవన కుమార

Which means: You appeared prior to Sita inside of a Diminutive form and spoke to her in humility. You assumed an awesome type and struck terror by placing Lanka on fire.

তুলসীদাস সদাসর্বদাই শ্রী হরির সেবক,দাসানুদাস।হে প্রভু আপনি তার হৃদয়টিকে আপনার বাসস্থানে পরিণত করুন অর্থাৎ তার হৃদয়ে নিত্য বাস করুন।

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आप सुखनिधान हैं तथा सभी सुख आपकी कृपा से सुलभ हैं। यहाँ सभी सुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख तथा परम सुख से है। परमात्म प्रभु की शरण में जाने पर सदैव के लिये दुःखों से छुटकारा मिल जाता है तथा शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है।

व्याख्या– ‘पिताँ दीन्ह मोहि कानन राजू‘ के अनुसार श्री रामचन्द्र जी वन के राजा हैं और मुनिवेश में हैं। वन में श्री हनुमान जी ही राम के निकटतम अनुचर हैं। इस कारण समस्त कार्यों को सुन्दर ढंग से सम्पादन करने का श्रेय उन्हीं को है।

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी click here ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

भावार्थ – श्री गुरुदेव के चरण–कमलों की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मैं श्री रघुवर के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।

হে প্রভু হনুমানজি, আপনার জয় হোক, জয় হোক, জয় হোক। গুরুদেব যেমন তার শীষ্যের প্রতি অনুগ্রহ প্রকাশ করে থাকেন সেই রকম আপনিও আমাকে কৃপা করুন।

व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।

भावार्थ – आपके हाथ में वज्र (वज्र के समान कठोर गदा) और (धर्म का प्रतीक) ध्वजा विराजमान है तथा कंधे पर मूँज का जनेऊ सुशोभित है।

মহাদেবের অংশে জাত আপনি, বানর শ্রেষ্ঠ কেশরী আপনার পিতা। তেজস্ক্রিয়তা এবং প্রতাপে আপনি সর্ব জগতে পূজনীয়।

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